म्हारा हरियाणा | Mhara Haryana
मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

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म्हारा हरियाणा संकलन

इस पृष्ठ के अंतर्गत हरियाणा के इतिहास, हरियाणा के नगरों व हरियाणवी भाषा की सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। । यदि आप हरियाणा से जुड़े हुए हैं और आपके पास सामग्री है तो कृपया उपलब्ध करवाएं।

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सावन के हरियाणवी गीत

सावन मास हरियाणवी लोक-संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सावन मास में तीज का त्योहार हरियाणा में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

इस अवसर पर युवतियाँ व महिलाएं साज-श्रृंगार करती है व हाथों और पैरों पर मेंहदी लगाती है।  माता-पिता अपनी विवाहिता बेटियों के ससुराल वस्त्र व श्रृंगार की सामग्री भेजते हैं। तीज के त्यौहार पर बेटियों की अपने पिता के घर आने की प्रथा है।

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भैंसों की मुख्य नस्लें - रामप्रसाद भारती

मुर्रा

मुर्रा के मुंह कान पर, होय सुनहरे बाल
सींग, मुडे़मा होयंगे देखो छल्ले चार।
देखो छल्लेदार होय यह रंग की कारी
छोटा मुख और कान पिछाई होये भारी।।
कहे भारती सत्य पूंछ को भूरा झुर्रा
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या दुनिया

एक ब एक बूढ़ा सा माणस अर उसका छोरा दूसरे गाम जाण लागरे थे। सवारी वास्तै एक खच्चर ह था। दोनो खच्चर पै सवार होकै चाल पड़े। रास्ते मैं कुछ लोग देख कै बोल्ले, "रै माड़ा खच्चर अर दो-दो सवारी। हे राम, जानवर की जान की तो कोई कीमत नहीं समझदे लोग।"

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झूलण आल़ी | लोकगीत

झूलण आल़ी बोल बता के बोलण का टोटा
झूलण खातर घाल्या करैं सैं पींग सामण में
मीठी बोली तेरी सै जणो कोयल जामण में
तेरे दामण में लिसकार उठै चमक रिहा घोटा
झूलण आल़ी बोल बता के बोलण का टोटा
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हरियाणा के प्राचीन नगर | Ancient Cities of Haryana

यूँ तो हरियाणा में विभिन्न नगर हैं किंतु हम यहाँ हरियाणा के प्रमुख प्राचीन नगरों का उल्लेख कर रहे हैं:

  • कुरूक्षेत्र
  • थानेसर (स्थाण्वीश्वर)
  • पानीपत
  • रेवाड़ी
  • हिसार
  • शाहबाद मारकण्डा
  • लाडवा
  • यमुनानगर
  • जगाधरी
  • बिलासपुर
  • सुध
  • पंचकूला
  • जीन्द
  • महेन्द्रगढ़
  • बल्लभगढ़
  • पलवल
  • होडल
  • गुड़गांव
  • कैथल
  • करनाल
  • फरीदाबाद
  • सिरसा
  • सोनीपत
  • गोहाना
  • बहादुरगढ़
  • रोहतक
  • अम्बाला
  • झज्जर
  • फर्रूखनगर

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होली की पौराणिक कथाएं

होली फागुन की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ होते हैं। ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता।

नि:संदेह व्रत एवं त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। हमारे सभी व्रत-त्योहार चाहे वह करवाचौथ का व्रत हो, दीवाली हो या होली का पर्व, कहीं न कहीं वे पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता।
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फागुण के हरियाणवी लोक गीत | Fagun Geet

यहाँ फागुण से संबंधित लोकगीत संकलित किए गए हैं जो फागुण, फाग व होली के अवसर पर गाए जाते हैं। यदि आपके पास भी कुछ गीत उपलब्ध हों तो अवश्य 'म्हारा-हरियाणा' से साझा करें।

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