थानेसर (स्थाण्वीश्वर) | Thanesar | हरियाणा सामान्य ज्ञान (आर के गुप्ता कृत) | Ancient Cities of Haryana
देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

Find Us On:

Hindi English
थानेसर (स्थाण्वीश्वर)  (म्हारा हरियाणा) 
Click To download this content    
Author:म्हारा हरियाणा संकलन

बौद्ध तथा जैन साहित्य में जिस "थूण" या "थूणा" गाम का उल्लेख है वही आगे चलकर स्थाण्वीश्वर नगर (थानेसर) कहलाया। स्थाण्वीश्वर नगर की गणना उन कुछ नगरों में की जाती है, जिन्हें प्राचीन भारत में राजधानी होने का गौरव मिला। यह श्रीकंठ जनपद की राजधानी थी। शक्तिशाली वर्धन वंश का उदय यहीं हुआ था, जिसमें दो प्रातीप शासकों-प्रभाकर वर्धन और हर्षवर्धन के समय यह नगर गौरव की चरमसीमा पर पहुंचा था लेकिन हर्षवर्धन को तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों के कारण अपनी राजधानी कान्यकुब्ज (कन्नौज) बनानी पड़ी। इससे स्थाण्वीश्वर नगर में पावन सरस्वती नदी के तट पर स्थित होने के कारण उसके सांस्कृतिक विकास में कोई बाधा नहीं हुई। इस प्राचीन नगर के अवशेष आज थानेश्वर कुरूक्षेत्र जिला के टीलों से पहचाने जाते है।

स्थाण्वीश्वर नगर का गौरवपूर्ण इतिहास हर्षचरित चीनी यात्री ह्मूनसांग के वृतान्त और मुस्लिम इतिहासकारों के विवरण तथा कुछ स्फुट ग्रन्थों से ज्ञात होता है।

यह नगर कभी एक प्रसिद्व सांस्कृतिक केन्द्र भी रहा है। नगर के चारों ओर रक्षा के लिए प्राचीर और परिखा थी। सामने स्कन्धावार या मिलिटरी कैंट, शायद मुगलकालीन उर्दू बाजार की तरह रहा था। राजकुल या रायपलेस अन्दर की ओर बना था, जिसकी रक्षा-प्रतिहारों द्वारा बड़ी सावधानी से की जाती थी। इस नगर में उत्सव बड़े आनन्द और उल्लास के साथ मनाये जाते थे।

ह्मूनसांग के विवरण से ज्ञात होता है कि थानेसर में 100 देव मन्दिर और तीन बौद्व विहार थे, इन बौद्व विहारों में 700 हीनयानी भिक्षु निवास करते थे। यहां के लोग शिव प्रति अगाध श्रद्वा रखते थे। बाणभट्ट के विवरण से पता चलता है कि घर में शिव की पूजा की जाती थी।

थानेश्वर के प्राचीन अवशेषों का अभी पूरी तरह पुरातत्वीय सर्वेक्षण नहीं हुआ है लेकिन यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है इस विषय में कोई संदेह नहीं है। पिछले दो-तीन वर्षो के सर्वेक्षण से बहुत सी पुरातत्वीय सामग्री प्रकाश में आयी है। जिनसे पता चलता है कि थानेश्वर में शतियों का नहीं, अपितु सहस्रशताब्दियों का इतिहास छिपा है। बस्ती एक बार नहीं अनेक बार उजड़ी है।

यहां से शुंग, कुषाण, गुप्त, वर्धन व गुर्जर-प्रतिहार काल के अनेक सामग्रियां प्राप्त हुई हैं।

#

साभार: हरियाणा सामान्य ज्ञान (आर के गुप्ता कृत)
संपादक - डा मीनाक्षी शर्मा

Previous Page  | Index Page  |    Next Page
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments