नांनी नांनी बूंदियां मीयां | सावन के हरियाणवी लोकगीत | Haryanvi Sawan Geet | Teej Lok Geet
उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।

Find Us On:

Hindi English
नांनी नांनी बूंदियां मीयां | सावन के हरियाणवी लोकगीत (साहित्य) 
Click To download this content  
Author:म्हारा हरियाणा संकलन

नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता हे जी
हां जी काहे चारूं दिसां पड़ेगी फुवार
हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा
संग की सहेली मां मेरी झूलती जी
हमने झूलण का हे मां मेरी चाव जी
हां जी काहे सामण आया सुगड़ सुहावणा
सखी सहेली मां मेरी भाजगी जी
हां जी काहे हम तै तो भाज्या ना जाय
पग की है पायल उलझी दूब में जी
नांनी नांनी बूंदियां मीयां बरसता जी
हां जी काहे चारूं पास्यां पड़ेगी फुवार

साभार - हरियाणा के लोक गीत, हरियाणा साहित्य अकादमी, संपादक - डा. साधुराम शारदा

Back
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments