ऊंची एडी बूंट बिलाती | लोकगीत | Haryanvi Folk Song | Lok Geet (हरियाणवी लोक साहित्य | Haryanvi Folklore | Haryanvi Folk Literature
अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

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ऊंची एडी बूंट बिलाती | लोकगीत  (साहित्य) 
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Author:म्हारा हरियाणा संकलन

ऊंची एडी बूंट बिलाती पहरन खात्तर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बाग बेच दे बिरसा बेच दे मन्नै रमझोल घड़ा दे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बैल बेच दे भैंस बेच दे साड़ी जम्फर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

नौहरा बेच दे महल बेच दे मोटरकार मंगा दे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।


साभार - हरियाना प्रदेश का लोकसाहित्य [हिंदोस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद]
          डा शंकर लाल यादव
          पृष्ठ १८०

 

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