Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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म्हारा हरियाणा
इस श्रेणी के अंतर्गत हरियाणा का इतिहास, हरियाणा के नगरों की जानकारी व हरियाणवी भाषा के बारे में सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी।Article Under This Catagory
हरियाणा का इतिहास | History of Haryana - म्हारा हरियाणा संकलन |
भारतीय गणतन्त्र में, एक अलग राज्य के रूप में, हरियाणा की स्थापना यद्यपि 1 नवम्बर, 1966 को हुई, किन्तु एक विशिष्ट ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक इकाई के रूप में हरियाणा का अस्तित्व प्राचीन काल से मान्य रहा है। यह राज्य आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता की धुरी रहा है। मनु के अनुसार इस प्रदेश का अस्तित्व देवताओं से हुआ था, इसलिए इसे 'ब्रह्मवर्त' का नाम दिया गया था। |
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हरियाणवी भाषा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
हरियाणवी (हरयाणवी) भाषा मूलत: हिंदी की ही एक बोली है और यह हरियाणा की मूल बोली है। हरियाणवी के अधिकतर शब्द ब्रज-भाषा से मिलते-जुलते हैं। |
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थानेसर (स्थाण्वीश्वर) - म्हारा हरियाणा संकलन |
बौद्ध तथा जैन साहित्य में जिस "थूण" या "थूणा" गाम का उल्लेख है वही आगे चलकर स्थाण्वीश्वर नगर (थानेसर) कहलाया। स्थाण्वीश्वर नगर की गणना उन कुछ नगरों में की जाती है, जिन्हें प्राचीन भारत में राजधानी होने का गौरव मिला। यह श्रीकंठ जनपद की राजधानी थी। शक्तिशाली वर्धन वंश का उदय यहीं हुआ था, जिसमें दो प्रातीप शासकों-प्रभाकर वर्धन और हर्षवर्धन के समय यह नगर गौरव की चरमसीमा पर पहुंचा था लेकिन हर्षवर्धन को तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों के कारण अपनी राजधानी कान्यकुब्ज (कन्नौज) बनानी पड़ी। इससे स्थाण्वीश्वर नगर में पावन सरस्वती नदी के तट पर स्थित होने के कारण उसके सांस्कृतिक विकास में कोई बाधा नहीं हुई। इस प्राचीन नगर के अवशेष आज थानेश्वर कुरूक्षेत्र जिला के टीलों से पहचाने जाते है। |
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कैथल | Kaithal - म्हारा हरियाणा संकलन |
कैथल - एक परिचय | Kaithal |
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पानीपत - म्हारा हरियाणा संकलन |
इस ऐतिहासिक नगर के नामकरण के बारे में कहा जाता है कि महाभारत की लड़ाई के समय पाण्डवों ने जिन पांच गांव की दुर्योधन से मांग की थी, उनमें से एक पनपथ भी था। बाद में यही पनपथ समय के थपेड़ों की मार सहते हुए पानीपत (Panipat) बन गया। |
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कुरूक्षेत्र | Kurukshetra - म्हारा हरियाणा संकलन |
भारतीय विचाराधारा की जन्म-स्थली कुरूक्षेत्र आर्य संस्कृति का एक सबसे प्रसिद्व केन्द्र है। विश्वास किया जाता है कि हिन्दू समाज और धर्म ने एक निश्चित रूपरेखा यहाँ पर धारण की। पवित्र सरस्वती नदी इस क्षेत्र में बहती थी। इसी नदी के तट पर महर्षि वेदव्यास ने अमर काव्य "महाभारत" की रचना की थी। वेदों, उपनिषदों और पुराणों का प्रादुर्भाव यहीं हुआ। यही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता को प्रेरणादायक संदेश दिया। यही कारण है कि उसे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों में माना जाता है। |
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