हुड्डा हो, चौटाला हो
जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

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रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'

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हुड्डा हो, चौटाला हो
कदै न घोटाळा हो
हाँ, कदै न घोटाळा हो.....

अापणे पराये का
आँखा म्ह ना जाला हो
हाँ, आँखा म्ह ना जाला हो.....

घर सबका सांझा रहै
कमरयां म्ह ना ताळा हो
हाँ, कमरयां म्ह ना ताळा हो.....

सीदी-सादी बात हो
मन म्ह ना काळा हो
हाँ, मन म्ह ना काळा हो.....

अापणी बोली-बाणी राख
पाट ज्यगा चाळा हो
हाँ, पाट ज्यगा चाळा हो.....

देस म्ह आपणा लट्ठ-सा गड ज्या
बस हरयाणा-हरयाणा हो....
हाँ, हरयाणा-हरयाणा हो....

            - रोहित कुमार 'हैप्पी'
               न्यूज़ीलैंड

 

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