Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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झूठा माणस मटक रह्या सै, जिसनै मैहणत करी बराबर, सौरण मिरग कैं पाछै देखो, ऊठ बैठ सै गैरां के संग, भाग किसे नैं गोद खिल्यावै, कऴजुग म्हं बेटा बापू का, दिल का इब नाजुक सा सिस्सा, जो बी मिलै 'रिसाल' आज काल्ह - रिसाल जांगड़ा
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