Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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मनै बावली मनचली, कहवैं सारे लोग।
बीर मरद में हो रह्यी, बस एकै तकरार।
सहना जै सै सीखणा, तू औरत तै सीख।
औरत पाछै कट मरा, दुनिया दीन जहान।
वीर तपस्वी देवता, अर सारे भगवान।
लख-लिख सब ग्यानी मरे, औरत नरकां द्वार।
कनकलता सी कामनी, जब दे यूँ मुस्काय।
डेढ़ हाथ का घूँघटा, भीतर तीखे तीर।
बीर कदै न चाहती, धन दौलत अर शान।
औरत भूखी प्यार की, मरद समझ ना पाय।
औरत घर की लाज सै, औरत जीवन सार।
बड़े-बड़े जो सूरमा, युद्धबीर कहलायँ।
Haryanvi Dohe by Dr Shyam Sakha 'Shyama' |
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