दिन कद आवेंगें | हरियाणवी लघुकथा | Haryanvi Short Story by Rohit Kumar Happy
जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

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रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'

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"मैं थारे गाम की सड़कां पक्की करवा दयूंगा, अर नवे नलके लगवा दूंगा। मै पूरी कोशश करूंगा गाम मै एक हाई स्कूल खलवाण की।"

नेता जी भाषण देण लगरे थे, इलक्शना के दिन थे। वा टैम ग्या तो फेर नेता जी कड़ै? अर नलके अर सड़का किसकी?

पांच साल बाद नेताजी फेर भाषण देण लगरे सैं, "मैं थारे गाम की सड़का...............। इलक्शना के दिन सै।

इलैक्शना के दिन तो पांच साल बाद आए जांवै पर नलके लगवाण अर सड़का पक्की कराण के दिन पता नी कद आवैगें?

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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