Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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"बापू पांच कोस पैदल चलना पड़ै स्कूल जाण खातर। एक सैकल दवा दे।" 'बेटे इबकी साढियां मैं जरूर दवाऊंगा।' हरिया अपणे छोरे नै विश्वास दवाण लग रया था। छोरा भी चुप्पी साध गया। मणे-मन हरिया हिसाब लाण लगया। फसल उठेगी आठ हजार की। तीन हजार तो महाजन की उधार चुकारणी अ, अर 4500 देणे अ जमीदार के, गुड्डी के ब्याह खातर पकड़े थे। बाकी बचे कुल पांच सौ! सामणी तक की फसल तक पांच सौ भी कम पड़ेगें। सैकल कड़ै तै आवेगी? चलो सामणी मैं देक्खी ज्यागी। ....पर हरिया साढियां तै सामणी, अर सामणी तै साढियां के इस सफर मैं हर बार कर्जायी बणा रया, बणा रवैगा। पिछली बार सामणी मै साढियां का वास्ता देकै टाल गया। इबकी साढी मै सामणी का! अर सामणी मै फेर साढी। महाजन अर जमींदार के चक्कर तै नी निकल सकदा कदे बी हरिया। - रोहित कुमार 'हैप्पी
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