ऊंची एडी बूंट बिलाती | लोकगीत | Haryanvi Folk Song | Lok Geet (हरियाणवी लोक साहित्य | Haryanvi Folklore | Haryanvi Folk Literature
जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

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म्हारा हरियाणा संकलन

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ऊंची एडी बूंट बिलाती पहरन खात्तर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बाग बेच दे बिरसा बेच दे मन्नै रमझोल घड़ा दे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बैल बेच दे भैंस बेच दे साड़ी जम्फर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

नौहरा बेच दे महल बेच दे मोटरकार मंगा दे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।


साभार - हरियाना प्रदेश का लोकसाहित्य [हिंदोस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद]
          डा शंकर लाल यादव
          पृष्ठ १८०

 

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