Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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चोट इतनी दिल पै खाई सै मनै, भूल गया मैं अपने आप्पे नै कती, टूटणा बेसक पड्या सै बार-बार, फूल-सा दिक्खै था पथरीला बदन, सींच कै अपणै लहू तै दोस्तो, त्याग की ज्वाला मैं तप कै रैत-दिन, मतलबी लोग्गां का जमघट सै 'कंवल'
साभार - यात्रा शब्दों की Haryanvi Ghazal by Kanwal Haryanvi |
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