हरियाणवी दोहे | Dohe | Haryanvi Couplets

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हरियाणवी दोहे

 
 
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

हरियाणवी दोहों का संकलन।

 
Literature Under This Category
 
हरियाणवी दोहे  - श्याम सखा श्याम | Shyam Sakha Shyam
मनै बावली मनचली,  कहवैं सारे लोग।
प्रेम प्रीत का लग गया, जिब तै मन म्हँ रोग ।।

 
हरयाणवी दोहे  - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'
मोबाइल प लगा रहै, दिनभर करै चैबोळ।
काम कदे करता नहीं, सै बेट्टा बंगलोळ।।

इतना सब कुछ लिक्ख गए,दादा लखमीचंद।
'रोहित' लिक्खू बोल के, बचा कूंण सा छंद ।।

देसी घी का नाम तो, भूल गए इब लोग ।
इस पीढ़ी नै लागरे, पित्ज़ा, केक के रोग।।

गामा मैं बी दिक्खे ना, कित्ते कोय चौपाळ।
इक-दूजे के फाड़ते, दिक्खें सारे बाळ।।

लाज-शरम की चिडीया, उड़गी बाब्बू दूर ।
वो भी तो लाचार सै, हम बी सै मजबूर ।।

सारे एंडी पाक रे, कोई रया न घाट।
बेटे अपने बाप की, करैं खड़ी इब खाट ।।

 

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