Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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गूठी | हरियाणवी कहानी - आशा खत्री 'लता' | Asha Khatri 'Lata' | ||||
कुंतल नै पैहरण का बहोत शौक था। टूमा तैं लगाव तो लुगाइयां नै सदा तैं ए रहा सै। अर उनमैं भी गूठी खास मन भावै, क्यूंके परिणयसूत्र में बंधण की रस्मा की शुरुआत ए गूठी तैं होवे सै। यो ए कारण सै अक गूठी के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बण ज्या सै। कुंतल की गैलां भी न्युएं हुआ। ब्याह नै साल भर हो ग्या था फेर भी वा अपनी सगाई आली गूठी सारी हाणां आंगली मैं पहरे रहती। चूल्हा- चौका, खेत-क्यार हर जगह उसनै जाणा होता। गोसे पाथण तैं ले कै भैसां तैं चारा डालण ताहीं बल्कि खेतां मैं तै लयाण ताहीं के सारे काम उसनै करणै पड़ै थे। यो ए कारण था अक उसकी सास ने उसतैं कई बार समझाया भी के छोटी सी गूठी, आंगली तैं कढक़ै कितै पड़ ज्यागी। पर कुंतल सास की बात नै काना पर कै तार देती। बस कदे- कदाए उसनै चून ओसणणां पड़ता तै उतार कै एक ओड़ा नै धर देती और हाथ धोते एं फेर पहर लेती। | ||||
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