Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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Literature Under This Category | ||||
हरियाणवी दोहे - श्याम सखा श्याम | Shyam Sakha Shyam | ||||
मनै बावली मनचली, कहवैं सारे लोग। प्रेम प्रीत का लग गया, जिब तै मन म्हँ रोग ।। |
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हरयाणवी दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' | ||||
मोबाइल प लगा रहै, दिनभर करै चैबोळ। काम कदे करता नहीं, सै बेट्टा बंगलोळ।। इतना सब कुछ लिक्ख गए,दादा लखमीचंद। 'रोहित' लिक्खू बोल के, बचा कूंण सा छंद ।। देसी घी का नाम तो, भूल गए इब लोग । इस पीढ़ी नै लागरे, पित्ज़ा, केक के रोग।। गामा मैं बी दिक्खे ना, कित्ते कोय चौपाळ। इक-दूजे के फाड़ते, दिक्खें सारे बाळ।। लाज-शरम की चिडीया, उड़गी बाब्बू दूर । वो भी तो लाचार सै, हम बी सै मजबूर ।। सारे एंडी पाक रे, कोई रया न घाट। बेटे अपने बाप की, करैं खड़ी इब खाट ।। |
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