फागण के दिन चार री सजनी, फागण के दिन चार । मध जोबन आया फागण मैं फागण बी आया जोबन मैं झाल उठे सैं मेरे मन मैं जिनका बार न पार री सजनी, फागण के दिन चार ।
प्यार का चन्दन महकन लाग्या गात का जोबन लचकन लाग्या मस्ताना मन बहकन लाग्या प्यार करण नै तैयार री सजनी, फागण के दिन चार ।
गाओ गीत मस्ती मैं भर के जी जाओ सारी मर मर के नाचन लागो छम छम कर के उठन दो झंकार री सजनी, फागण के दिन चार ।
चन्दा पोंहचा आन सिखिर' मैं हिरणी जा पोंहची अम्बर मैं सूनी सेज पड़ी सै घर मैं साजन करे तकरार री सजनी, फागण के दिन चार ।
साभार - हरियाणा के लोकगीत
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