Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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विपिन चौधरी
विपिन चौधरी की पढ़ाई-लिखाई हिसार,हरियाणा में हुई। आप कविता का युवा स्वर हैं और इन दिनों अपने अनुवाद कार्यों से भी चर्चा में हैं।
देशभर की तमाम चर्चित पत्रिकाओं के साथ ही साहित्यिक वेब पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
संपर्क ईमेल: vipin.choudhary7@gmail.com)
Author's Collection
Total Number Of Record :2ओबरा
जद ताती-ताती लू चालैं
नासां तैं चाली नकसीर
ओबरे म्ह जा शरण लेनदे
सिरहानै धरा कोरा घड़ा
ल्हासी-राबड़ी पी कीं
कालजे म्ह पडदी ठंड
एक कानीं बुखारी मह बालू रेत मिले चने
अर दूसरे कानीं, गुड़ भरी ताकी
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मेरा सादा गाम
म्हारी बुग्गी गाड्डी के पहिये लोहे के सैं
जमां चपटे बिना हवा के
जूए कै सतीं जुड रहे सैं
मण हामी इसे मह बैठ
उरै ताईं पहुँच लिए
रेजै का पहरा करे स म्हारा कुर्ता
अर बां उपराण सांम्हीं राख्या करां,
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