संदीप कंवल भुरटाना का जीवन परिचय | Sandeep Kanwal Bhurtana - Haryanvi poet, writer
वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।

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संदीप कंवल भुरटाना

संदीप कंवल भुरटाना का जन्म 7 जुलाई 1987 को हरियाणा में हुआ। आप बवानी खेड़ा (भिवानी) के निवासी हैं।

आपने चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा से मॉस कम्युनिकेशंस में मास्टर्स करने के बाद, बी.एड किया।

हरिभूमि दैनिक में 45 दिन का प्रशिक्षण लिया व सच कहूँ दैनिक पत्र में सह-संपादन किया। हरियाणवी लेखन के अतिरिक्त आपको पठन-पाठन, संगीत, गायन व क्रिकेट का शौक है।

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मुर्रा नस्ल की भैंस | कविता

म्हारे हरियाणे की या आन-बान-शान सै।
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

मुर्रा नस्ल की भैंस म्हारी बाल्टा दूध का ठोकै सै,
म्हारे गाबरू इस दूध नै किलो-किलो झौके सै,
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मन्नै छोड कै ना जाइए | कविता

मन्नै छोड कै ना जाइए,
मेरे रजकै लाड़ लड़ाइए,
अर मन्नै इसी जगां ब्याइए,
जड़ै क्याकैं का दुख ना हो।

छिक के रोटी खाइए,
अर मन्नै भी खुवाइए,,
जो चाहवै वो ए पाइए,
पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए,
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बुढ़ापा बैरी आग्या इब यो | कविता

बुढ़ापा बैरी आग्या इब यो, रही वा जकड़ कोन्या।
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

जवानी टेम यो खेत म्हं हाली, रहया था पूरे रंग म्हं,
आंदी रोटी दोपहर कै म्हं, खाया ताई के बैठ संग म्ह,
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