Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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कंवल हरियाणवी | Kanwal Haryanvi
'कंवल हरियाणवी' हरियाणवी ग़ज़लों के एक हस्ताक्षर माने जाते हैं। कंवल 'हरियाणवी' का वास्तविक नाम पं. श्रीकृष्ण व्यास है। आपका जन्म 9 मई, 1927 को गांव पाई (जिला कैथल) में पं. केवलराम के घर में हुआ था।
आपने मैट्रिक तक शिक्षा ली व इसके पश्चात् आप सेना में भर्ती हो गए। आप सेना में सूबेदार के पद से सेवामुक्त होने के पश्चात् अपने गांव पाई में रहते हैं।
आप श्री 'रज़ा' अमरोहवी के शिष्य हैं।
यद्यपि ग़ज़ल हिंदी में अपना स्थान स्थापित कर चुकी है तथापि हरियाणवी में यह विधा बहुत पुरानी नहीं है। आप हरियाणवी के अतिरिक्त हिंदी में भी लिखते हैं। 'कंवल' हरियाणवी और हिन्दी के ग़ज़लकार, कवि और कथाकार हैं। आपकी ग़ज़लें अपने प्रखर, आक्रामक और यथार्थ के करीबी तेवर के लिए जानी जाती हैं। सादा-सरल भाषा में बात कहने, नश्तर लगाने की कला 'कंवल' हरियाणवी की रचनाओं स्वाभाविक गुण है।
साहित्यिक कृतियाँ -
हरियाणवी ग़ज़ल संग्रह "तारे नवे-नवे"
अंधेर नगरी चौपट राजा (काव्य संग्रह)
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म्हारा हरियाणा संकलन
Author's Collection
Total Number Of Record :2चोट इतनी | हरियाणवी ग़ज़ल
चोट इतनी दिल पै खाई सै मनै,
दर्द की दुनिया बसाई सै मनै।
भूल गया मैं अपने आप्पे नै कती,
याद उसकी जिब तै आई सै मनै।
टूटणा बेसक पड्या सै बार-बार,
अपणी बिगड़ी खुद बणाई सै मनै।
फूल-सा दिक्खै था पथरीला बदन,
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चाल-चलण के घटिया देखे | हरियाणवी ग़ज़ल
चाल-चलण के घटिया देखे बड़े-बड़े बड़बोल्ले लोग,
भारी भरकम दिक्खण आले थे भित्तर तै पोल्ले लोग।
जीवन भर तो खूब सताया खूब करया मेरा अपमान,
अरथी पै जिब ले कै चाल्लै 'बड़ा भला था' बोल्ले लोग।
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