कच्चे नीम्ब की निम्बोली | सावन के हरियाणवी लोकगीत | Haryanvi Sawan Geet | Teej Lok Geet
हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।

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कच्चे नीम्ब की निम्बोली | सावन के हरियाणवी लोकगीत (साहित्य) 
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Author:म्हारा हरियाणा संकलन

कच्चे नीम्ब की निम्बोली सामण कद कद आवै रे
जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भर ल्यावै रे
बाबा दूर मत ब्याहियो दादी नहीं बुलाने की
बाब्बू दूर मत ब्याहियो अम्मा नहीं बुलाने की
मौसा दूर मत ब्याहियो मौसी नहीं बुलाने की
फूफा दूर मत ब्याहियो बूआ नहीं बुलाने की
भैया दूर मत ब्याहियो भाभी नहीं बुलाने की
काच्चे नीम्ब की निम्बोली सामणया कद आवै रे
जीओ रे मेरी मां का जाया गाडे भर भय ल्यावै रे


साभार - हरियाणा के लोक गीत, हरियाणा साहित्य अकादमी, संपादक - डा. साधुराम शारदा

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