साजण तो परदेस बसै | हरियाणवी गीत | Haryanvi Song by Rohit Kumar Happy
मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

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साजण तो परदेस बसै  (काव्य) 
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Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'

साजण तो परदेस बसै मैं सुरखी, बिंदी के लाऊं
सामण बी इब सुहावै ना, मैं झूला झूलण के जाऊं

नणदी बेशक प्यार करै, सासू बी कम ना लाड करै
बिन तेरे पर सब सुन्ना सै- मैं के ओढू, मैं के पाऊं

मन थमै ना इब थमाए बी, दिल लगै ना इब लगाए बी
कद आवैगा न्यू बतलादे, कदे बिरह मै ना मै जर जाऊं

बाबू तो रहै बीमार तेरा, देवरजी पडण नै शहर बसै
बिन तेरे काम कसूता सै, मैं चाहे किसेकी सौं ठाऊं

सासू-माँ तन्नै याद करै, देवर बी कितना प्यार करै
दिवाली तै पहलां घर आ जा, सौं ऑपणी तन्नै मैं लाऊं


- रोहित कुमार 'हैप्पी'


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