आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल | हरियाणवी ग़ज़ल | Haryanvi Ghazal by Rohit Kumar Happy
मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

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आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल | हरियाणवी ग़ज़ल (काव्य) 
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Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'

आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल
लिकड़ चुकी सै कदकी रेल

जिब चावै आजाद घूम तौं
किसनै कर राखी सै जेल

जख्मां पै या नूण लगाकै
दुनिया देख्या करती खेल

सीदा-सादा कोई थय्या जै
कोल्हू मैं बस उसनै पेल

आ ज्यागी नाचैण नै राधा
कर ले कट्ठा नौ मण तेल

अपणा-सा लाग्गै वा 'रोहित'
मन का मन तै हो जिब मेल

- रोहित कुमार 'हैप्पी' [म्हारा हरियाणा संकलन]

Haryanvi Ghazal by Rohit Kumar 'Happy'

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