Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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हरियाणवी रागनियां
रागनी एक कौरवी लोकगीत विधा है जो आज स्वतंत्र लोकगीत विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है। हरियाणा में मनोरंजन के लिए गाए जाने वाले गीतों में रागनी प्रमुख है। यहां रागनी एक स्वतंत्र व लोकप्रिय लोकगीत विधा के रूप में प्रसिद्ध है। हरियाणा में रागनी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं व सामान्य मनोरंजन हेतु रागनियां अहम् हैं। हरियाणा के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में रागनियाँ बहुत लोकप्रिय है। कवि सत्यपाल सिंह की खड़ी बोली में लिखी हुई की एक निम्न रागनी ७० के दशक में सम्पूर्ण उत्तर-भारत में छाई रही - 'इस फैशन ने म्हारे देश की कतई बिगाड़ी चाल, देखियो के होगा। धूम घाघरे छोड़ दिए साड़ी और सलवार लई.... सांग (लोकनाट्य विधा) का आधार रागनियों ही थी। सांग धीरे-धीर विलुप्त हो गए तत्पश्चात रागनी एक स्वतंत्र एवं लोकप्रिय लोकगीत विधा के रूप में स्थापित हुई। इस पृष्ठ पर हरियाणा के प्रसिद्ध रचनकारों की रागनियाँ उपलब्ध करबाई गई हैं। यदि आपके पास कुछ सामग्री हो तो अवश्य भेजें।Article Under This Catagory
पं लखमीचंद की रागणियां - पं लखमीचंद | Pt Lakhami Chand |
रागनी एक कौरवी लोकगीत विधा है जो आज स्वतंत्र लोकगीत विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है। हरियाणा में मनोरंजन के लिए गाए जाने वाले गीतों में रागनी प्रमुख है। यहां रागनी एक स्वतंत्र व लोकप्रिय लोकगीत विधा के रूप में प्रसिद्ध है। हरियाणा में रागनी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं व सामान्य मनोरंजन हेतु रागनियां अहम् हैं। हरियाणा की रागनियों की चर्चा हो तो पं लखमीचंद का मान सर्वोपरि लिया जाता है। प्रस्तुत हैं पं लखमीचंद की रागनिया। |
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मेहर सिंह की रागणियां - मेहर सिंह |
मेहर सिंह की रागणियां हरियाणा में बहुत लोकप्रिय हैं और देहात में बड़े चाव से सुनी जाती हैं। एक फ़ौजी होने के कारण उनकी रचनाओं में फ़ौज के जीवन, युद्ध इत्यादि का उल्लेख स्वभाविक है। |
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पं मांगेराम की रागणियां - पं मांगे राम |
पं मांगे राम का नाम हरियाणवी लोक साहित्य में एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है। पं लखमीचंद के इस शिष्य की रागणियां हरियाणा भर में बड़े चाव से आज भी गाई जाती हैं। |
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जीवन की रेल - पं लखमीचंद | Pt Lakhami Chand |
हो-ग्या इंजन फेल चालण तै, घंटे बंद, घडी रहगी । |
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गया बख्त आवै कोन्या - मंदीप कंवल भुरटाना |
गया बख्त आवै कोन्या, ना रहरे माणस श्याणे |
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मेरी कुर्ती | रागनी - नरेश कुमार शर्मा |
हे मेरी कुर्ती का रंग लाल मेरा बालम देख लूभावै सै। |टेक| |
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