साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।

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हरियाणवी चुटकले | रोशन वर्मा

एक गंजा एक नाई तै बोल्या - मेरे सिर पै तो बहुत कम बाळ सैं, तन्नै कम पिस्से लेणे चाईंयै।

नाई बोल्या - यैं पिस्से बाळ काटण के कोनी बाल टोण के मांगे सैं।

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