शर्म लाज कति तार बगायी | जितेन्द्र दहिया का गीत
शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।

Find Us On:

Hindi English
शर्म लाज कति तार बगायी (काव्य) 
Click To download this content    
Author:जितेंद्र दहिया

शर्म लाज कति तार बगायी या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी...!

कट्ठे रह के कोए राजी कोनया ब्याह करते ए न्यारे पाटे हैं,
माँ बाप की कोए सेवा नहीं करता सारे राखन त नाटे है ।
भाना की कोए कदर रही ना, साली ए प्यारी लागे है ,
सीधे कोथली भी देना नहीं चाहते ज़िम्मेदारी त भागे हैं ।
साली रोज घरा खड़ी रह बेबे जाती नहीं बुलाई ,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी... ।


बाजरे की रोटी भाती कोनया इब बर्गर पिज्जा खावें स ,
नशे पते के आदी होगे हुक्के न शान बतावें स .... ।
लाम्बे ठाड़े बालक खुगे ये त किसता प जीवें स ,
दूध दहि त कत्ती छूट गया शीत भी मांगया पीवें स ।
लूट खसोट भी गणही माचगी ना रही मेहनत की कमाई ,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी ... ।


कड़े दोगड़ धर धर ल्याया करती इब बाल्टी म बा आवे स ,
घर ना हो चाहे दाने खान न काम करण आली आवे स ।
पहल्या 4 बजे उठ जाया करती इब 10 बजे ताई सोना चावे स ,
देख के सिर शर्म त झुक ज्या सासु न काम बतावे स....
ईवनिंग वॉक प जान लाग गी इब गामा की लुगाई
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी ... ।


बुड्ढे भी इब वे ना रहे कोए सयानी बात रही ना
किसे आती जाती न देख के बुझे किसकी बहू भाई या...?
बुड्ढे भी कति बालक होगे छोटी सी बात प ऐंठे स ,
भीरस्पत न लुगाई देखन खातर मंदिर प जा के बैठे स ।
ये भी न्यू कह अक टेम बदल गया ना रही माहरी किते सुनाई
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी... ।


बिमार बहु का भी हाथ नहीं बटावे सतसंग में जाके झाड़ू ठावे है,
घाल कै कुर्सी बैठ भारणे आते ज्याता की चुगली लावे है।
भजन कीर्तन छोडके इब नाटका मै ध्यान लगावे है,
छोरा बटेऊ दोनू बस मै सारी बुढिया न्यू चावे है।
बहु ऐ क्यूँ ना इनने अपनी बेटी बनायीं,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी... ।


छोरी घर तै बाहर लिकड़ कै घनिये धरती काटे है,
माँ घरा कोए काम बतादे झट दे सी नै नाटे है।
छोटे छोटे लत्ते पहरणन ये फैशन बतावे है,
गलत चालण पै भी टोको मतना सारी छोरी न्यू चावे है।
लव मैरिज करण ताहि इनने घर मै करी लड़ाई,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी।


पहल्या आला पड़ोस रहया ना जिब,
राज़ी ख़ुशी रहया करे थे।
दुःख सुख मै जिब एक दूजे का पूरा साथ दिया करे थे,
देख कै इब का हाल मेरा दिल यो कत्ति टूट जया है।
कदे ओट्ड़े पै कदे नाली पै जिबे लठ उठ जया है,
कह 'जितेन्द्र' ना रही किसे मै थोड़ी सी भी समायी,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी... ।


मेहनत करके कोए राज़ी कोन्या पहल्या सारा दिन हल चलाया करते,
रोग बिमारी दूर रहवे थी मेहनत करके खाया करते।
पहल्या पैर उट्ठे थे महीने भर मै इब 2 दिन का काम भी बसकी कोन्या,
जो सपना देख्या था छोटूराम नै यो वो हरयाणा कोन्या।
सब किम हो गया महँगा ना रही खेती मै कोए कमाई,
या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी... ।


प्यार प्रेम राखो आपस म सब रह ल्यों बढ़िया तरिया,
के बेरा कद रुक ज्यावे यो किसके वक्त का पहिया।
""जितेन्द्र नाम है मेरा एक त जाट ऊपर त दहिया ॥""

शर्म लाज कति तार बगायी या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी...!!

Previous Page  | Index Page  |    Next Page
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments