हरियाणवी लोक गीतों में गाँधी | लोकगीत
मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

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हरियाणवी लोक गीतों में गाँधी | लोकगीत  (साहित्य) 
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Author:म्हारा हरियाणा संकलन

देस के हो रे थे बारां बाट।
बणिया, बाह्मण अर कोई जाट

अर था कोई अछूत कहलाया।
बाब्बू का दिल था भर आया॥

बाब्बू नै मिटाई छूआछात।
सब सैं भारत माँ के पूत॥

 

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