तेरा बड़ा भाई तेरे भरोसे करग्या | पं मांगेराम की रागणियां | Ragni Mange Ram
शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।

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तेरा बड़ा भाई तेरे भरोसे करग्या (साहित्य) 
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Author:पं मांगे राम

तेरा बड़ा भाई तेरे भरोसे करग्या,
तनै वचन भरे थे, तू इसा तावला फिरग्या !!टेक!!

तेरह दिन की अलग छठी बैठी सूं
मेरा होगया कम तोल घटी बैठी सूं
सब कार व्योवाहर तै दूर हटी बैठी सूं
तनै धन चाहिए मैं लुटी-पिटी बैठी सूं
तेरी माँ का जाया चाणचक मरग्या !!१!!
तनै वचन भरे थे, तू इसा तावला फिरग्या !!टेक!!

रही मन की मन म्ह खोलण बी ना पाई,
बण कै बोडिया ड़ोलन
बी ना पाई,
ले कै पंखा झोलण
बी ना पाई
मरती बरियाँ बोलण
बी ना पाई
मैं पिया बिन तड़पुं वो परलोक डिगरग्या !!२!!
तनै वचन भरे थे, तू इसा तावला फिरग्या !!टेक!!

अपणे माणस नै गैर करया ना करते
छोटी सी बात का जहर करया ना करते
दुश्मन पै कदे खैर करया ना करते
नाबलिग़ पै कदे फैर करया ना करते
तेरी बातां नै सुण कै हृदय चिरग्या !!३!!
तनै वचन भरे थे, तू इसा तावला फिरग्या !!टेक!!

श्री मांगेराम तेरा सस्ता गाणा कोन्या
म्हारे बसते घर म्ह कोए याणा-स्याणा कोन्या
मेरे दो पैरां नै ठयोड़ ठिकाणा कोन्या
जैमल सै तेरा पूत बिराना कोन्या,
जैमल सै नादान तेरे तै डरग्या !!४!!

 

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