करवा-चौथ | Karva Chauth
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहुँचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय।

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करवा-चौथ  (विविध) 
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Author:भारत-दर्शन संकलन

 

'करवा चौथ' के व्रत से तो हर भारतीय स्त्री अच्छी तरह से परिचित है! यह व्रत महिलाओं के लिए 'चूड़ियों का त्योहार' नाम से भी प्रसिद्ध है।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला यह करवा चौथ का व्रत, अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जा सकता है। सुहागिन स्त्रियाँ पति पत्नी के सौहार्दपूर्ण मधुर संबंधों के साथ-साथ अपने पति की दीर्घायु की कामना के उद्देश्य से यह व्रत रखती है। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं करवा रूपी वस्तु या कुल्हड़ अपने सास-ससुर या अन्य स्त्रियों से बदलती हैं।

विवाहित महिलाएं पति की सुख-समपन्नता की कामना हेतु गणेश, शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। सूर्योदय से पूर्व तड़के 'सरघी' खाकर सारा दिन निर्जल व्रत किया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार व्रत का फल तभी है जब यह व्रत करने वाली महिला भूलवश भी झूठ, कपट, निंदा एवँ अभिमान न करे। सुहागन महिलाओं को चाहिए कि इस दिन सुहाग-जोड़ा पहनें, शिव द्वारा पार्वती को सुनाई गई कथा पढ़े या सुनें तथा रात्रि में चाँद निकलने पर चन्द्रमा को देखकर अर्घ्य दें, दोपरांत भोजन करें।

 

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