हरियाणवी क्लास | Haryanvi Hasya Katha
देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। - रविशंकर शुक्ल।

Find Us On:

Hindi English
हरियाणवी क्लास (लघु-कथाएं) 
Click To download this content    
Author:नरेश गुज्जर

"पाँच किलो चीनी का दाम साठ रपिये सै तो एक किलो चीनी कितणे की होयी?" मास्टर बाल्का ते बोल्या।

 

"मास्टर जी पहला नू बता दो न, कौन सी दुकान तै मिले सै इतनी सस्ती चीनी? कबाड़िया तो 45 रपीये किलो देवे सै!" पाछले बेंच पे बैठया घोलू पूछण लागया।

 

"पहला तू बता, कबाड़िया चीनी कद तै बेचण लागया?"

 

"मास्टर जी, मेरे तो जामण तै पहला सै ही बेचे सै। बाकी आपने बेरा होगा!"

 

"मन्ने कुकर बेरा होगा?" मास्टर नै घोलू पै नज़र गडाते होय पूछण लाग्या।

 

घोलू के बगल में बैठया दीपू जोर तै बोल्या, "मास्टर जी, थमने ना बेरा तो के हमने बेरा होवे था? कबाड़िया दुकानदार थारा ए बापू सै।"

 

सारे बालक जोर-जोर तै हासण लाग गे।

 

मास्टर आग्या छो मै। दोनुआ के धरे दो-दो रेपटे अर बना दिये मुर्गे ।

 

क्लास फेर चालू होगी । मास्टर ने दुसरा सवाल पुछया, "एक अंडे का के दाम रक्खें कि तीन अंडे पंद्रह के बिक जां?"

 

बिच हाले बेंच प बैठया रोबट खड़या होके बोल्या- "मास्टर जी, मैं एक का दाम दस रपीये धरूगाँ ।

 

"फेर तीन पंद्रह के कुकर होये?" मास्टर नै पुच्छ्या ।

 

"एक दस का, अर दो ढाई-ढाई के -होगे पंद्रह!" - रोबट बोल्या ।

 

"नू कूकर? तीनो के दाम बराबर होने चहिये!"

 

"क्यू, मास्टर जी, म्हारे अंडे तो दाम भी अपनी मरजी ते ए लावां गे!" रोबट आकड़ के बोल्या।

 

फेर के था... मास्टर ने भी करया वोही मारे दो रेपट, अर बना दिया मुर्गा ।

 

इब आलिया तीसरा सवाल !

 

"यू बताओ के सिगरेट से केंसर होता है तो दारू तै के होता है?

 

आगले बेंच पे बैठया सुणा सा छोरा जिसके चहरे पे तेज था। खड़या होया मास्टर भी सोचया यो छोरा देवेगा सही जवाब!

 

छोरा खड़या हुंदे ही, "मास्टर जी पाचंन तंत्र मजबूत होवे सै ।"

 

मास्टर सुणके दंग रहगया और पूछया, "वो कैसे, रै?"

 

"मास्टर जी, थमने सुनणया कोनी के जहर ही जहर ने काटया करै सै तो नूए दारू सिगरेट की लडा़ई हो जा सै।"

 

इस बार मास्टर हासता होया बोल्या- "उरे आ मेरे लाल ।" छोरा आया कने आते ही, मास्टर का वोही काम दो मारे रेपट अर बना दिया मुर्गा !

 

इबके घोलू जिसने मुर्गा बणे घणदेर होली मुह ने उपर करके बोल्या- "मास्टर जी, हमने बेरा सै थम हमने मुर्गे बना के फ्री का पोलटरी फार्म खोलना चाहो हो लेकिन एक बात महारी भी सुणलो हम तै अंडे तो थारा बाबू नी दूआ सकद‍ा!"

 

- नरेश गुज्जर

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments