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हरियाणवी लोक-कथाएं

 
 
हरियाणवी साहित्य लिपिबद्ध न होने के कारण नगण्य ही माना जाता है लेकिन हरियाणवी लोक-साहित्य बहुत समृद्ध है। हरियाणवी लोक साहित्य में हरियाणवी लोक कथाओं का विशेष महत्व है। लोक-कथाएं प्राचीन काल से प्रचलित हैं और आज भी देहात में चौपालों पर, सामान्य बातचीत में इनका समावेश सहज ही पाया जा सकता है।
 
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या दुनिया  - म्हारा हरियाणा संकलन
एक ब एक बूढ़ा सा माणस अर उसका छोरा दूसरे गाम जाण लागरे थे। सवारी वास्तै एक खच्चर ह था। दोनो खच्चर पै सवार होकै चाल पड़े। रास्ते मैं कुछ लोग देख कै बोल्ले, "रै माड़ा खच्चर अर दो-दो सवारी। हे राम, जानवर की जान की तो कोई कीमत नहीं समझदे लोग।"

 

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