दिन कद आवेंगें | हरियाणवी लघुकथा | Haryanvi Short Story by Rohit Kumar Happy
हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।

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दिन कद आवेंगें (लघु-कथाएं) 
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Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy'

"मैं थारे गाम की सड़कां पक्की करवा दयूंगा, अर नवे नलके लगवा दूंगा। मै पूरी कोशश करूंगा गाम मै एक हाई स्कूल खलवाण की।"

नेता जी भाषण देण लगरे थे, इलक्शना के दिन थे। वा टैम ग्या तो फेर नेता जी कड़ै? अर नलके अर सड़का किसकी?

पांच साल बाद नेताजी फेर भाषण देण लगरे सैं, "मैं थारे गाम की सड़का...............। इलक्शना के दिन सै।

इलैक्शना के दिन तो पांच साल बाद आए जांवै पर नलके लगवाण अर सड़का पक्की कराण के दिन पता नी कद आवैगें?

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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