हरियाणा | श्रीकृष्ण गोतान मंजर का हरियाणवी गीत | Haryanvi Poem
अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

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हरियाणा | हरियाणवी गीत | कविता (काव्य) 
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Author:श्रीकृष्ण गोतान मंजर | Shrikrishna Gotan Manjar

सब सै निराला हरियाणा
दूध घी का सै खाणा

कुरुछेतर महाभारत भूमि
गीता ज्ञान ठिकाणा॥

मर्रा नसल के सांड सजीले
ले कै पड़ै ना पछताणा


बीर यहाँ की मेहनतगारी
काम भरोटे ल्याणा


साँग तमाशे रागनी इसकी
के जाणै कोई गाणा


जग विख्यात कृषि विद्यालय
करतब उपज बढ़ाणा


भेड़ गधे खच्चर घोड़्याँ का
यहाँ संस्थान पुराणा


कारखाने जिंदल के नामी
जाणै नाम कमाणा

हाजिर रह्वै जबाभ जबां पै
फरवट याणा स्याणा

- श्रीकृष्ण गोतान 'मंजर'

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