बचपन | विरेन सांवङिया का गीत | Haryanvi Song by Sanwariya Viren

Find Us On:

Hindi English
बचपन (काव्य)  Click To download this content    
Author:विरेन सांवङिया

प्यारे थे बचपन के साथी
एक तै बढकै एक हिमाती
चिजै खाण नै सारे डाकी
धोरै रूपली किसे कै नै पाती

दैख कै बांदर फैंकते चिजै
दिखा ठोसा फेर काढते खिजै
कैट्ठे होकै घणे खेले खेल
पकङ कै बुर्सट बना दी रेल

गली म्हं खेले तै पकङम पकङाई
प्लाट लुह्क गै तै लुह्कम छिपाई
छुट्टी के दिन ना कदे भी न्हाये
जोहङ पै जा कै घरघुल्ले बनाये

ढूँढ कै माचिस बणादें तांश
संग खेलते फिर मित्र खास
मार किलकारी नाच्चे हम झङ म्हं
मोरणी भी देखी ब्याई एक बङ म्हं

कागज की नाव बणाया करदे
बारीश के पाणी म्हं बहाया करदे
बारीश होण तै पागे पिसे
चिजै खा कै फेर लेगे जिसे

बणाके पिल्लू खेली गोली
हारते दिखै तै खा गे रोली
गिट्टे, बिज्जो खेलां करै थी छोरी
कोए थी श्याणी तै कोए घणी गौरी

ओढ पहर वै गिरकाया करती
झुका कै गर्दन शरमाया करती
मैडम नै देख घणी ए डरती
हर त्यौहार पै रह थी बरती

जोहङ पै नहा कै आया करते
बैठक म्हं तांश बजाया करते
खेल खेल म्हं कर लेते लङाई
प्यारे दोस्त पै खा लेते पिटाई

सरकंडा के बणाये थे तुक्के
गुलेल तै निशाना कोए ना चुक्के
साथिया गैल गए जोहङ पै
शर्त लगा ली थी पहलै मोङ पै

बङ पै चढकै मारी ढाक
मुध्धे पङकै फुङाली नाक
कदे पजामा तै कदे पहरी पैंट
फैसगी शिशी तै ला लिया सैंट

क्लास म्ह बठै पकङ कोणा
खा के डंडे फेर आव था रोणा
पिछै बठकै कै स्याही फैकाणा
टकले दोस्त का तबला बजाणा

दोस्तों के संग करकै अंगघाई
खूब मास्टर की नकल कढाई
खेले खाये भई तीज सिन्धारे
दो चार छोड कै सब देखे बनवारे

नानी कै घर पै जाया करते
खीर चुरमा खुब खाया करते
बासी खाते थे खीचङी और दलिया
माँ घाल्या करै थी निखङू का पलिया

ईब ना रह रह्या यो टेम पुराणा
दादी माँ का नित लोरीयाँ सुणाणा
सांवङीया नै था याद दिलाणा
बचपन बैरी नै ना मुङके आणा

- विरेन सांवङिया

 

Back
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments