चाल-चलण के घटिया देखे | हरियाणवी ग़ज़ल | Haryanvi Ghazal by Kanwal Haryanvi

Find Us On:

Hindi English
चाल-चलण के घटिया देखे | हरियाणवी ग़ज़ल (काव्य)  Click To download this content    
Author:कंवल हरियाणवी | Kanwal Haryanvi

चाल-चलण के घटिया देखे बड़े-बड़े बड़बोल्ले लोग,
भारी भरकम दिक्खण आले थे भित्तर तै पोल्ले लोग।

जीवन भर तो खूब सताया खूब करया मेरा अपमान,
अरथी पै जिब ले कै चाल्लै 'बड़ा भला था' बोल्ले लोग।

रामायण मै न्यू फरमै गे तुलसी दास करम की महमा,
इन्दर का सिंहासन डोल्या जिब आस्सण तै डोल्ले लोग।

कथनी अर् करणी का अंतर पाया पैसंग और धड़े का,
दुनिया नै हम नाप्पे तोल्ले हम नै नाप्पे तोल्ले लोग।

सबतै भारी एक अचम्भा इस दुनिया मैं हमनै देख्या,
उसनै लोग्गां का दम घोट्या जिसकै पंखा झोल्लैं लोग।

सिर मुंडवाया ओले पडगे पता नहीं पाट्या पगड़ी का;
'कंवल' ओढ़ ले टोपी सिर पै मारैंगे इब ठोल्ले लोग।

- कंवल हरियाणवी [म्हारा हरियाणा संकलन]


साभार - यात्रा शब्दों की
साहित्य सभा कैथल

Haryanvi Ghazal by Kanwal Haryanvi

Back
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments