मंदीप कंवल भुरटाना
हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।

Find Us On:

Hindi English

मंदीप कंवल भुरटाना

मंदीप कंवल भुरटाना

Author's Collection

Total Number Of Record :1
गया बख्त आवै कोन्या

गया बख्त आवै कोन्या, ना रहरे माणस श्याणे
पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥

पहले जैसा कोन्या रहया, यार और व्यवहार कती
बीर-मर्द की कोन्या रही रै, घर महै ताबेदार कती
माणस माणस बैरी होरया, कोन्या बसै पार कती
...

More...

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments