Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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रिसाल जांगड़ा
रिसाल जांगड़ा का जन्म 8 जुलाई 1955 को कैथल जिले के गाँव 'बाहमनी वाला' में हुआ। आपने स्नातक की है। आप दूरसंचार विभाग में कार्यरत रहे हैं।
आप हरियाणवी ग़ज़ल लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। ग़ज़ल के अतिरिक्त आपने हरियाणवी में बाल काव्य-संग्रह ‘घुंघरू बचपन के’ की रचना की है। इस संग्रह में इक्यावन हरियाणवी बाल-कविताएं हैं।
Author's Collection
Total Number Of Record :2मिली अंधेरे नै सै छूट | हरियाणवी ग़ज़ल
मिली अंधेरे नै सै छूट
रह्या उजाले नै यू लूट
उसका पक्कम सत्यानाश
पड़ग्यी सै जिस घर मैं फूट
मंदिर म्हं खडकावै टाल
बोल्लै सौ-सौ मण की झूट
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झूठा माणस मटक रह्या सै | हरियाणवी ग़ज़ल
झूठा माणस मटक रह्या सै,
सूली पै सच लटक रह्या सै ।
जिसनै मैहणत करी बराबर,
काम उसे का अटक रह्या सै ।
सौरण मिरग कैं पाछै देखो,
राम आज बी भटक रह्या सै ।
ऊठ बैठ सै गैरां के संग,
दिल म्हं अपणा खटक रह्या सै ।
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